Maha Kumbh: प्रयागराज में 2025 का महाकुंभ मेला कैसा होगा ?

2025 का महाकुंभ (Mahakumbh) मेला प्रयागराज में एक बार फिर भव्यता और धार्मिक आस्था का सबसे बड़ा प्रतीक बनने जा रहा है। माना जा रहा है कि 2025 के महाकुंभ मेले में करीब 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालु शामिल होंगे और अब तक 35 करोड़ से भी ज्यादा लोगों ने स्नान कर लिया है। यह आयोजन पूरी दुनिया के लिए एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक उत्सव है |

प्रयाग हिंदुओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण तीर्थस्थलो में से एक है। परंपरागत रूप से नदियों के संगम को पवित्र स्थान माना जाता है, लेकिन संगम में प्रयाग का महत्व सबसे पवित्र है क्योंकि यहाँ पवित्र गंगा, यमुना और सरस्वती (पौराणिक) मिलकर एक हो जाती हैं।

कहा जाता हैं कि, भगवान विष्णु अमृत का घड़ा लेकर जा रहे थे, तभी हाथापाई हुई और चार बूंदें छलक के प्रयाग, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन, इन चार तीर्थों पर गिरीं।

ये तीर्थ वह स्थान है जहाँ भक्त मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं। यह आयोजन हर तीन साल में कुंभ मेले के रूप में मनाया जाता है, जो प्रत्येक तीर्थ पर बारी-बारी से आयोजित किया जाता है; प्रयाग को तीर्थराज, ‘तीर्थों का राजा’ के रूप में जाना जाता है और यहाँ हर बारह साल में एक बार कुंभ आयोजित किया जाता है, जो सबसे बड़ा और सबसे पवित्र है।

इसबार का महाकुंभ 14 जनवरी “मकर संक्रांति से शुरू होगी” और यह महाशिवरात्रि (11 मार्च 2025 ) तक चलेगा। इस दौरान बहुत से प्रमुख स्नान नक्षत्रो के अनुसार आयोजित होते हैं।

स्नान के तिथियाँ
मकर संक्रांति (14 जनवरी) :- प्रारंभिक स्नान।
पौष पूर्णिमा (25 जनवरी):- धार्मिक अनुष्ठान।
अमावस्या (9 फरवरी):- सबसे बड़ा स्नान दिवस।
बसंत पंचमी (14 फरवरी):- पवित्र स्नान।
माघ पूर्णिमा (24 फरवरी):- धार्मिक कार्यों का समापन।
महाशिवरात्रि (11 मार्च):- अंतिम प्रमुख स्नान।
2025 के महाकुंभ का महत्व और क्यों है खास

Maha kumbh 2025: इस बार का महाकुम्भ जो हिंदू धर्म के लिए अत्यधिक पवित्र माना जा रहा है। क्योकि यह मेला 144 वर्षों में एक बार होता है और इसमें शाही स्नान होते हैं, जो पुण्य और मोक्ष की प्राप्ति का अवसर प्रदान करते हैं। इस बार विशेष शुभ संयोग और छह शाही स्नान होंगे।

शास्त्रों के अनुसार, महाकुंभ में स्नान करने से 1000 अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है और इसलिए महाकुंभ साधु-संन्यासियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। साधु-संत पुरे महाकुम्भ तक प्रभु का ध्यान करते हैं और अपने मोक्ष के लिए महाकुंभ में स्नान करने जाते हैं।

इस बार का महाकुंभ मेला न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र होगा, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक विरासत और आध्यात्मिक परंपराओं को वैश्विक (Global) स्तर पर प्रदर्शित करने का भी एक बड़ा मंच बनेगा।

विदेशों से बड़ी संख्या में पर्यटक कुंभ मेले को देखने और भारत की संस्कृति को जानने के लिए आएंगे। पर्यावरण संरक्षण पर जोर: गंगा नदी की सफाई और पर्यावरण अनुकूल मेले के आयोजन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

विशेष आकर्षण
  • त्रिवेणी संगम पर स्नान: पवित्र गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान का महत्व।
  • अखाड़ों की पेशवाई: सभी प्रमुख अखाड़े अपने जुलूसों और साधु-संतों के साथ मेले में शामिल होंगे।
  • धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम: प्रवचन, भजन-कीर्तन, यज्ञ और सांस्कृतिक प्रदर्शनी मेले की शोभा बढ़ाएंगे।
  • आध्यात्मिकता और योग: मेले के दौरान योग और ध्यान शिविरों का आयोजन किया जाएगा।

प्रयागराज सिर्फ संगम से ही नहीं बल्कि अपने इतिहास से भी जाना जाता हैं।

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