बनारस इतिहास से पुराना है

“बनारस इतिहास से पुराना है, परंपरा से पुराना है, यहाँ तक कि किंवदंती से भी पुराना है…”

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पवित्र गंगा नदी के किनारे बसा वाराणसी (जिसे काशी या बनारस भी कहा जाता है) आध्यात्मिकता और भक्ति का प्राचीन केंद्र है, जिसकी जड़ें 3,500 साल से भी अधिक पुरानी हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि यहीं से सृष्टि की रचना हुई थी। किंवदंतियाँ कहती हैं कि वाराणसी की धरती पर सूरज की पहली किरण गिरी थी, जिसने जीवन की चिंगारी को प्रज्वलित किया और इंसानियत के मार्ग को रोशन किया।

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वाराणसी में हर नज़ारा, हर आवाज़ और हर अहसास आपको आध्यात्मिकता के एक अनोखे सफर पर ले जाता है। संकरी गलियों में मंदिर की घंटियों की गूँज, पुजारियों के मंत्रोच्चारण, बाज़ारों में लहराते रेशमी साड़ियों के सुंदर पैटर्न और गंगा घाटों पर जलते हुए दीयों का नज़ारा, सबकुछ आपको मंत्रमुग्ध कर देता है। यहाँ की गलियाँ, साधु-संतों का ज्ञान और गंगा के घाट मिलकर एक ऐसा नज़ारा पेश करते हैं, जो आपके मन, शरीर और आत्मा को सुकून देता है।

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गंगा आरती का अद्भुत नज़ारा

हर शाम दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती का भव्य आयोजन होता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु और पर्यटक हिस्सा लेते हैं। यह आरती गंगा मैया को श्रद्धांजलि देने का एक दिव्य रूप है।

आरती के दौरान चंदन की सुगंध से हवा महक उठती है। पुजारियों के समान ताल में चलते हाथों में जलते हुए दीये, घंटों और झाँझ की मधुर ध्वनि और मंत्रों का जाप गंगा के पानी पर गूँजता है। जब आप पत्तों पर रखे दीपों को गंगा में प्रवाहित करते हैं, तो नज़ारा अद्भुत हो जाता है।

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वाराणसी के प्रसिद्ध मंदिर

वाराणसी में कई प्राचीन और पवित्र मंदिर हैं। इनमें से सबसे प्रमुख है काशी विश्वनाथ मंदिर, जो भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। 1780 में रानी अहिल्याबाई होल्कर ने इसका पुनर्निर्माण कराया था।

इसके अलावा यहाँ संकेत मोचन हनुमान मंदिर, तुलसी मानस मंदिर, भारत माता मंदिर, नेपाल मंदिर, काल भैरव मंदिर और माँ अन्नपूर्णा मंदिर जैसे कई अद्भुत मंदिर हैं।

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सारनाथ – बुद्ध का पहला उपदेश

वाराणसी से कुछ दूरी पर सारनाथ है, जहाँ भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था। यहाँ का अशोक स्तंभ, जो हमारे राष्ट्रीय चिह्न का प्रेरणा स्रोत है, इतिहास का एक अहम हिस्सा है।

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वाराणसी के घाट – आत्मा का निवास

गंगा घाट वाराणसी की आत्मा माने जाते हैं। दशाश्वमेध घाट की आरती, अस्सी घाट का जीवंत माहौल, मणिकर्णिका घाट का जीवन और मृत्यु का चक्र, चेत सिंह घाट का इतिहास, और केदार घाट की पवित्रता – ये सभी अपनी-अपनी कहानियाँ कहते हैं।

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इतिहास के पन्नों से – किले और विश्वविद्यालय

रामनगर किला, 18वीं शताब्दी का एक शानदार नमूना, आज भी अपनी कहानी बयां करता है। यहाँ महर्षि वेदव्यास का मंदिर है।

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU), एशिया का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय, शिक्षा और ज्ञान का केंद्र है।

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देव दीपावली का जादुई नज़ारा

देव दीपावली के दौरान वाराणसी का हर घाट, हर गली दीयों की रोशनी से जगमगा उठता है। हवा में घुली मिठाइयों की खुशबू, आसमान में चमकते पटाखे और गंगा पर तैरते दीयों का प्रतिबिंब – यह सब मिलकर एक जादुई नज़ारा बनाते हैं।

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कलाकारों का शहर

वाराणसी को ‘सिटी ऑफ म्यूजिक’ का दर्जा मिला है। यहाँ के संगीत, नृत्य और कला ने दुनिया को प्रेरित किया है। यहाँ के बाज़ारों में बनारसी साड़ियाँ, हस्तशिल्प के सामान, और सुनहरी-रुपहली कढ़ाई का काम दुनियाभर में मशहूर है।

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घूमने-फिरने और खाने का आनंद

सुबह-सुबह गंगा में नाव की सवारी करना और घाटों का नज़ारा देखना एक अनोखा अनुभव है।

यहाँ का खाना भी बेहद खास है – कचौड़ी सब्जी, चूड़ा मटर, मलाईयो, टमाटर चाट और बनारसी पान

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जहाँ समय ठहर जाता है

वाराणसी प्राचीन परंपराओं और आधुनिकता का संगम है। यह शहर आत्मचिंतन, ज्ञान और शांति का प्रतीक है। यहाँ का हर कोना, हर गली, और हर घाट आपको एक अद्भुत अनुभव देगा।

तो आइए, वाराणसी के इस जादुई सफर का हिस्सा बनिए और इसकी आध्यात्मिक सुंदरता को महसूस कीजिए।

“Banaras oldest city of the world”

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